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Some interesting facts of Rajput history
क्या आप जानते हैं महाराणा प्रताप ने अपनी मां जयवंता बाई को हल्दीघाटी युद्ध के बाद अपने छोटे भाई शक्ति सिंह के साथ माइनसोर के दुर्ग में भेज दिया था ताकि उन्हें जंगल में भटकने का कष्ट ना हो। महाराणा प्रताप की मां महारानी जयवंता बाई
क्या जानते हैं एक फारसी इतिहासकार ने अपनी पुस्तक “अख्बर उल अख्यार” मे यह लिखा है कि मुइनुद्दीन चिश्ती (जिनकी अजमेर में दरगाह है) ने पृथ्वीराज चौहान को इस्लाम की फौज के हवाले करके उनके सही अंजाम तक पहुंचाया था। प्रखर हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कहानी
महाराणा प्रताप के अंतिम शब्दों में भी उनका मेवाड़ के प्रति समर्पण देखा सकता है। महाराणा प्रताप ने अपने अंतिम समय में अपने पास उपस्थित सामंतों से यही प्रश्न किया था कि क्या मेरा पुत्र अमरसिंह मेरी मातृभूमि मेवाड़ की रक्षा कर पाएगा या नहीं। इसके बाद सामंतों ने बप्पा रावल की गद्दी की शपथ लेकर महाराणा प्रताप को भरोसा दिलाया था कि हम मेवाड़ की आन बान शान में कोई भी दाग नहीं लगने देंगे और इस आश्वासन को सुनने के बाद ही महाराणा प्रताप के शरीर से प्राण निकल पाए। राजपूत कुलभूषण महाराणा प्रताप
क्या आप जानते हैं राजस्थान में एक भी जिले का नाम किसी मुगल के नाम पर नहीं है।
क्या आप जानते हैं निजाम उल मुल्क ने राणा सांगा की तुलना एक श्वान(Dog) से की थी, परंतु जब राणा सांगा को अपने इस अपमान की सूचना मिली तो उन्होंने निजाम उल मुल्क का अहमदनगर तक पीछा किया और अहमदनगर किले को घेर कर सारी मुस्लिम संपत्ति को लूट लिया था। शरीर पर 80 घाव वाले योद्धा राणा सांगा की कहानी
क्या आप जानते हैं जब मुगल आक्रमणकारियों से लड़ते-लड़ते रानी दुर्गावती की आंख में तीर लग गया था तब उन्होंने अपने हाथ से ही वह तीर निकाला था। रानी दुर्गावती की कहानी
क्या आप जानते हैं दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने दिवेर के थाना प्रमुख सुल्तान खान पर भाले से ऐसा भीषण प्रहार किया था कि भाला सुल्तान खान और उसके घोड़े को बेधते देते हुए जमीन में जा धसा था। जब सुल्तान खान दर्द से कहार रहा था तो महाराणा प्रताप को सुल्तान खान पर दया आ गई और उसके बाद महाराणा प्रताप ने अपने हाथों से स्वर्ण कलश में भरे गंगाजल को सुल्तान खान को पिलाया था। महाराणा प्रताप का भाला और कुछ अन्य अनसुनी बातें
क्या आप जानते हैं अकबर के दरबार का एक मुगल अधिकारी जिसका नाम बदायूंनी था उसने अपनी किताब “मुंतखब उल तवारीख” में यह लिखा है कि जब मैंने हल्दीघाटी युद्ध में आसिफ खान (अकबर का सेनापति) से पूछा कि मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि हमारी तरफ से लड़ने वाले राजपूत और शत्रु की तरफ से लड़ने वाले राजपूत कौन है तो आसिफ खान ने बदायूंनी को यह जवाब दिया कि तुम तो बेफिक्र होकर तीर चलाओ जिस भी तरफ का राजपूत मरेगा फायदा तो इस्लाम का ही होना है। हल्दीघाटी युद्ध का आंखों देखा हाल और कौन जीता यह युद्ध
क्या जानते हैं महाराणा प्रताप अपने पिता उदयसिंह के द्वारा उदयपुर शहर को बसाने के लिए किए जाने वाले खर्च से सहमत नहीं थे। इसका कारण यह था कि मेवाड़ राज्य, उदयपुर को बसाने के समय आर्थिक संकट से जूझ रहा था और महाराणा प्रताप नहीं चाहते थे कि आर्थिक संसाधनों का अधिकतर भाग उदयपुर शहर को बसाने के लिए लगाया जाए।
क्या आप जानते हैं अलवर के महाराजा जयसिंह ने रॉल्स रॉयस कंपनी द्वारा किए गए अपमान का बदला रॉल्स रॉयस की कारों से कचरा उठवा कर लिया था।
जब अकबर का दूत जलाल खान कोरची महाराणा प्रताप के पास संधि प्रस्ताव लेकर आया तो महाराणा प्रताप ने संधि प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए उत्तर दिया कि खान साहब आपको शायद पता नहीं है कि मेवाड़ का शासक में नहीं हूं, मेवाड़ के शासक तो एकलिंग जी है और जब तक वह कोई जवाब ना दे तब तक मैं आपको कोई उत्तर नहीं दे सकता। अंततः लगभग एक महीने कोशिश करने के बाद असफल होकर जलाल खान कोरची को मेवाड़ से वापस लौटना पड़ा। अकबर द्वारा महाराणा प्रताप के पास भेजे गए दूत
आजादी से पहले उदयपुर(मेवाड़) के शासक महाराजा भूपाल सिंह को जब मोहम्मद अली जिन्ना और कुछ अन्य शासकों ने पाकिस्तान में सम्मिलित होने का प्रस्ताव दिया तो महाराजा भूपाल सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि हमारे पूर्वज (महाराणा प्रताप) तो पहले ही निर्णय ले चुके है कि हमें कहां जाना है इसलिए इस विषय में सोच विचार करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
क्या आप जानते हैं कर्नल जेम्स टॉड ने जयमल राठौड़ को “Lion of Chittod” की संज्ञा दी है। अकबर की सेना के लिए त्रिकाल जयमल राठौड पत्ता सिसोदिया और कल्ला राठौड़ की कहानी
क्या आप जानते हैं हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप और उनकी सेना ने मुगल सेना के सभी बड़े सेनापतियों को मौत के घाट उतार दिया था। अगर महाराणा प्रताप का निशाना नहीं चूकता और उनका भाला मानसिंह की जगह उसके महावत को नहीं लगता तो मानसिंह भी जीवित नहीं बचता।
क्या आप जानते हैं जब राणा सांगा एक पत्र की भाषा समझने में असमर्थ थे तब उनकी बहू मीरा बाई ने कुछ ही सेकंड मे उस पत्र का सही अर्थ निकालकर महाराणा सांगा को बता दिया था। महाराणा सांगा मीराबाई की बुद्धिमता से बहुत प्रसन्न और प्रभावित हुए थे। महाराणा प्रताप की ताई मीराबाई की कहानी
क्या आप जानते हैं दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप के सामने 30 हजार से अधिक मुगल सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।