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जंतर मंतर जयपुर का इतिहास। Jantar Mantar Jaipur history in Hindi
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जंतर का मतलब होता है साधन और मंतर का अर्थ होता है गणना करने का फार्मूला।
इन दो शब्दों से अगर जंतर मंतर का पूरा अर्थ निकाला जाए तो वह "गणना करने का साधन" निकलेगा।
जंतर मंतर एक ऐसी जगह है जहां सिर्फ सनलाइट और मूनलाइट और कुछ खगोलीय यंत्रों की सहायता से समय, ग्रह नक्षत्र और अन्य बहुत सी खगोलीय घटनाओं के बारे में सटीकता से अध्ययन किया जा सकता है।
जंतर मंतर जयपुर में कुल 19 यंत्र है जिनका निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1720 से 1738 के मध्य करवाया था।
भारत में कुल 5 जंतर मंतर वेधशालाए मौजूद है। इन पांचों जंतर मंतर के निर्माण का श्रेय भी जयपुर के शासक महाराजा सवाई सिंह द्वितीय को जाता है।
जयपुर के अतिरिक्त चार अन्य वेधशालाएं मथुरा,दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन में स्थित है। वर्तमान में दिल्ली और जयपुर की वेधशालाएं ही अच्छी अवस्था में है।
जयपुर की वेधशाला 1734 में बनकर तैयार हुई थी। महाराजा जयसिंह खगोलशास्त्र में गहरी रूचि रखते थे तथा जंतर मंतर में प्रयोग किए जाने वाले यंत्र जिसका नाम "जयप्रकाश यंत्र" है, इसके आविष्कारक स्वयं महाराजा जयसिंह ही थे। सभी वेधशालाओ में जयपुर की वेधशाला सबसे विशाल मानी जाती है।
महाराजा जयसिंह ने वेधशालाओ के निर्माण से पहले ज्योतिष व खगोल विज्ञान संबंधी ग्रंथों का अध्ययन किया। इसके अतिरिक्त जयसिंह ने एशिया, यूरोप, ब्रिटेन पुर्तगाल और अन्य कई देशों में राजस्थान के विद्वानों को भेजा और वहां मौजूद खगोलीय ग्रंथों का अध्ययन करवाया।
अंततः 6 वर्षों के गहन अध्ययन के बाद पहली वेधशाला सन् 1724 में दिल्ली में स्थापित की गई। दिल्ली की वेधशाला का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद चार अन्य जगह पर वेधशाला का निर्माण कार्य शुरू किया गया।
जयपुर वेधशाला का जीर्णोधार सन् 1901 में महाराजा सवाई माधोसिंह के द्वारा करवाया गया।
जयपुर की वेधशाला में सभी प्राचीन यंत्र अच्छी अवस्था में है तथा इन यंत्रों के माध्यम से आज भी स्थानीय समय, मौसम तथा खगोलीय घटनाओं की सटीक गणना की जा सकती है।
सम्राट यंत्र, जंतर मंतर में स्थित सबसे विशाल यंत्र है। यह स्थानीय समय की सटीकता से जानकारी दे सकता है। सम्राट यंत्र की ऊंचाई कुल 90 फीट है।
जंतर मंतर में स्थित प्रमुख यंत्र और उनके प्रयोग-
Major instruments in Jantar Mantar Jaipur and their uses-
उन्नतांश यंत्र
(उन्नतांश का मतलब- Angular height of a body from the horizon)
उन्नतांश यंत्र एक विशाल धातु का गोला ,( Giant metal ball) है जो जंतर मंतर के प्रवेश द्वार के ठीक बायी ओर स्थित है। यह यंत्र दो स्तंभों के मध्य लटका (suspended) हुआ है। इस यंत्र की सहायता से खगोलीय पिंड (Celestial body) का Altitude और Angular height ज्ञात की जा सकती है।
दिशा यंत्र
यह एक सरल उपकरण है। इसका प्रयोग दिशाओं को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। दिशा यंत्र जंतर मंतर परिसर में एक वर्गाकार धरातल (square surface) पर वृत्त (circle) के आकार का बना हुआ है।
लघु सम्राट यंत्र
लघु सम्राट यंत्र एक धूप घड़ी है जो 20 सेकंड तक की सूक्ष्मता से समय बता सकती है(Precise time of up to 20 seconds)। लघु सम्राट यंत्र केवल 12 घंटे तक का ही समय बता सकता है।
सम्राट यंत्र
जिस प्रकार एक राज्य में सम्राट का पद सबसे ऊंचा होता है उसी प्रकार जयपुर के जंतर मंतर का सबसे विशाल यंत्र सम्राट यंत्र है इसकी ऊंचाई 90 फीट है।
लघु सम्राट यंत्र और सम्राट यंत्र दोनों एक ही पद्धति पर काम करते है और दोनों ही धूप घड़ियां है। अंतर बस इतना है कि लघु सम्राट यंत्र 20 सेकंड की सूक्ष्मता से समय बताता है तथा दूसरी ओर सम्राट यंत्र 2 सेकंड की सूक्ष्मता से समय बताता है। सम्राट यंत्र के शीर्ष पर एक छतरी का निर्माण भी किया गया है।
षष्ठांश यंत्र
यह यंत्र जयपुर की वेधशाला में स्थित सम्राट यंत्र का ही एक भाग है। इस यंत्र की सहायता से ग्रह नक्षत्रों की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
जय प्रकाश यंत्र 'A' और जय प्रकाश यंत्र 'B'
जयप्रकाश यंत्रों का आविष्कार स्वयं महाराजा जयसिंह ने किया था। इन दोनों यंत्रों का आकार एक कटोरे(Bowl) के समान है। जयप्रकाश यंत्र के दोनों भाग एक दूसरे के पूरक है। सरल शब्दों में यदि कहा जाए तो इस यंत्र का प्रयोग यह पता करने के लिए किया जाता है की वर्तमान में सूर्य किस राशि में है।
अगर सामान्य जिंदगी में इस यंत्र का उपयोग देखे तो उदाहरण के लिए यदि किसी बच्चे का जन्म हुआ है तो इस यंत्र से यह पता लगाया जा सकता है कि उसकी कुंडली में सूर्य किस राशि में है।
नाड़ी वलय यंत्र
लघु सम्राट यंत्र 12 घंटे तक का समय बता सकता है परंतु नाड़ी वलय यंत्र 24 घंटों तक का समय बता सकता है। नाड़ी वलय यंत्र सूर्य की रोशनी में भी काम करता है तथा चंद्रमा की रोशनी में भी।
नाड़ी वलय यंत्र के भी दो भाग है-
पहला-दक्षिणी गोलार्ध नाड़ी वलय यंत्र(जब सूर्य सर्दियों के मौसम में होता है तो यह 6 महीने काम करेगा)
दूसरा- उत्तरी गोलार्ध नाड़ी वलय यंत्र (जब दक्षिणी गोलार्ध नाड़ी वलय काम नहीं करता तो शेष छह महीनों में उत्तरी गोलार्ध नाड़ी वलय समय बताता है)
ध्रुवदर्शक पट्टिका
जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस यंत्र का प्रयोग ध्रुव तारे की दिशा तथा स्थिति पता करने के लिए किया जाता है।
चक्र यंत्र
यह यंत्र लोहे के दो विशाल चक्रों से बना हुआ है। इस संयंत्र का प्रयोग खगोलीय पिंड (Celestial body) के geographic coordinates पता करने के लिए किया जाता था।
राशि वलय यंत्र
राशि वलय यंत्र 12 राशियों को प्रदर्शित करता है। जयप्रकाश यंत्र से यह पता चलता है कि वर्तमान में सूर्य किस राशि में है परंतु राशि वलय यंत्र यह बताता है कि सूर्य का किसी राशि पर कितना प्रभाव है या कितने डिग्री के कोण पर सूर्य, मनुष्य की राशि पर झुका हुआ है।
राम यंत्र
सूर्य और पृथ्वी के बीच बनने वाले कोण को ज्ञात करने के लिए राम यंत्र का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त राम यंत्र का प्रयोग यह पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है कि पृथ्वी कितने कोण पर घूर्णन कर रही है।
दिगंश यंत्र
(दिगंश का मतलब -angular position of any Celestial body from north to east)
यह यंत्र जंतर मंतर के एग्जिट गेट के पास स्थित है। इस यंत्र के द्वारा खगोलीय पिंडों (Celestial bodies) के दिगंश (Azimuth) को ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
इसके अतिरिक्त यंत्र राज और क्रांति वृत्त यंत्र का प्रयोग अन्य महत्वपूर्ण ज्योतिषीय तथा खगोलीय घटनाओं की गणना के लिए किया जाता है।
जंतर मंतर कब खुला रहता है- Jantar Mantar Jaipur timings
Jantar Mantar जयपुर सुबह 9:00 से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है। जंतर मंतर शनिवार और रविवार को बंद रहता है इसलिए आप सोमवार से शुक्रवार तक ही जंतर-मंतर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं।
जंतर मंतर घूमने कब जाए-Best time to visit Jantar Mantar Jaipur in Hindi
जंतर मंतर जयपुर में घूमने का सही समय अक्टुबर से मार्च महीने तक रहता है। अगर आप दूसरे किसी समय में जाते हैं तो आपको राजस्थान की गर्मी परेशान कर सकती है।
जयपुर के जंतर मंतर कैसे पहुंचे - How to reach Jantar Mantar Jaipur in Hindi
जयपुर के मुख्य शहर से जंतर मंतर लगभग 5 KM की दूरी पर है। आप ola, Uber या अन्य किसी साधन से जयपुर के जंतर मंतर आसानी से पहुंच सकते है।
जंतर मंतर की एंट्री फीस कितनी है-Jantar Mantar entry fees in Hindi
भारतीय पर्यटकों के लिए जयपुर के जंतर मंतर का प्रवेश शुल्क 50 रुपए है तथा विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 200 रुपए है।
जंतर मंतर अगर आप अपनी कार से जाते है तो कार पार्किंग का शुल्क 80 रुपए है।
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