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जयगढ़ किला जयपुर । Jaigarh fort history in Hindi
जयगढ़ फोर्ट राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर शहर की आमेर तहसील में स्थित है। जयगढ़ फोर्ट का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह (1621-1667) के द्वारा किया गया था। परंतु जयगढ़ फोर्ट का अधिकतर निर्माण सवाई जय सिंह (1700-1743) के द्वारा करवाया गया था। राजस्थान का यह एक ऐसा दुर्ग है जिस पर कभी भी विदेशी आक्रमण नहीं हुआ।
जयगढ़ फोर्ट से आप चारों तरफ अरावली श्रेणी की पहाड़ियों को देख सकते हैं। अरावली श्रेणी की पहाड़ियों में से एक चील का टीला नाम की पहाड़ी है इसी पर जयगढ़ फोर्ट बना हुआ है।
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जयगढ़ फोर्ट से पूरे जयपुर शहर का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। जयपुर शहर की नीव सवाई जयसिंह ने 18 नवंबर 1727 को रखी थी।
जयसिंह ने अपने शासनकाल में जो भी निर्माण करवाया उसमे वह हमेशा अपना नाम जोड़ते थे जैसे
जयगढ़ फोर्ट, जयवान तोप, जल महल, जयपुर और जंतर मंतर।
जयगढ़ फोर्ट में तीन प्रवेश द्वार है डूंगर दरवाजा, भैरू दरवाजा, आवनी दरवाजा। भारतीय पर्यटको के लिए इस दुर्ग की एंट्री फीस ₹70 है।
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इंदिरा गांधी द्वारा जयगढ़ फोर्ट में खजाने की तलाश
Jaigarh fort treasure in hindi
जयगढ़ फोर्ट के अंदर एक विशाल पानी का टैंक बना हुआ है और रियासत काल में इस टैंक के नीचे बहुत से कमरे बने हुए थे जहां पर कछवाहा राजवंश का शाही खजाना रखा जाता था। टैंक के नीचे बने इन कमरों में जाने के लिए ऊपर से कोई रास्ता नहीं है। इन कमरों में जाने के लिए एक खुफिया रास्ता था जिससे होते हुए शाही खजाने तक पहुंचा जा सकता था।
इंदिरा गांधी जब देश की प्रधानमंत्री बनी तब उन्होंने यहां से शाही खजाने को निकलवा कर ट्रकों के माध्यम से जयपुर के बाहर किसी अनजाने स्थान पर पहुंचवाया। हालांकि सरकार ने स्पष्ट रूप से मना किया कि उन्हें जयगढ़ फोर्ट में कोई भी खजाना नहीं मिला परंतु स्थानीय सूत्रों के अनुसार पूरे एक दिन के लिए जयपुर दिल्ली हाईवे को बंद रखा गया था। जयगढ़ फोर्ट मे खजाने की खोज का कार्य 10 जून 1976 को शुरू किया गया था।
जयगढ़ फोर्ट में रखी विश्व की सबसे बड़ी तोप-जयबाण तोप
Jaivana cannon details/history in Hindi
जयवाण तोप को अपनी श्रेणी में सबसे बड़ी तोप माना जाता है। जयवाण तोप में अधिकतम 8 मीटर बैरल को रखा जा सकता है इस कारण इसे एशिया की सबसे बड़ी तोप माना जाता है। जयवाण तोप का निर्माण जयपुर के शासक सवाई जयसिंह ने सन 1720 ईस्वी में जयगढ़ दुर्ग के अंदर ही करवाया था।
दरअसल जयगढ़ दुर्ग के अंदर एक विशाल तोपखाना था जहां पर तोपों का निर्माण किया जाता था। इस तोपखाने में ही धातु को गला कर उन्हें बड़े-बड़े खांचों में डाला जाता था। इसके बाद तोप के अंदर हाथों के द्वारा ही ड्रिल किया जाता था।
जयवाण तोप के बारे में संपूर्ण जानकारी
Complete information about Jaiwan Cannon
- जयवाण तोप की रेंज 35.4 KM
- जयवाण तोप की बैरल(नाल) का वजन- 50 टन
- जयवाण तोप की बैरल की लंबाई 20 फीट तथा गोलाई 8 फीट 7.5 इंच
- जयवाण तोप की बॉडी का वजन( बैरल के अलावा) -200 टन
- जयवाण तोप कुल वजन - 250 टन
जयवाण तोप से छोड़े जाने वाले गोले का वजन 50 किलो होता था। इस तोप को 35 किलोमीटर की दूरी तक फायर करने के लिए 100 किलो गन पाउडर की आवश्यकता होती थी। जब परीक्षण करने के लिए पहली बार जयवाण को चलाया गया था तो जयपुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चाकसू गांव में एक बड़ा गड्ढा बन गया था जिसे बाद में एक तालाब के रूप में परिवर्तित कर दिया गया था। हालांकि जयवाण तोप का प्रयोग कभी भी युद्ध क्षेत्र में करने की जरूरत नहीं पड़ी।
जयवाण तोप को पहली बार चलाने के बाद क्या हुआ?
जिस व्यक्ति ने जयवाण तोप को पहली बार चलाया था वह तोप की 100 फीट लंबी बारूद की बत्ती को आग लगाने के बाद फोर्ट के पास में बनी झील में कूद गया था ताकि तोप के द्वारा होने वाली आवाज से कान को नुकसान ना पहुंचे।
पानी के अंदर कूदने का कारण यह था कि पानी में ध्वनि की तीव्रता कम सुनाई देती है परंतु पानी के अंदर होने के बाद भी उस व्यक्ति के कान के पर्दे फट गए थे।
इसके साथ-साथ किले की दीवारों को भी बहुत नुकसान पहुंचा था। आसपास स्थित गांव को भी काफी हानि पहुंची थी।
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यदि दीपावली पर 1-2 ग्राम का पटाखा चलाया जाता है तो कितनी आवाज होती है तो जयवाण में तो फिर भी 100 किलो बारूद का प्रयोग किया गया था।
हर साल सिटी पैलेस से राज परिवार का कोई ना कोई सदस्य यहां आकर इस तोप की पूजा करता है।
जयगढ़ फोर्ट के अंदर क्या देखा जा सकता है?
Why is Jaigarh Fort Famous?
- सुभट निवास(दीवान ए आम)
सुभट निवास में राजा अपने सैन्य अधिकारियों के साथ राज्य की सुरक्षा को लेकर चर्चा किया करते थे। इसके अलावा कभी-कभी सुभट निवास में राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल भी जानते थे।
यहां आप पुराने जमाने के कूलर देख भी सकते हैं जिन्हें गर्मी से छुटकारा पाने के लिए प्रयोग किया जाता था।
- जयगढ़ फोर्ट में स्थित खिलवत निवास(दीवान ए खास)
यदि राजा अपने मंत्रियों के साथ कोई गुप्त चर्चा करते थे तो वह मीटिंग खिलवत निवास में ही की जाती थी।
- लक्ष्मी विलास पैलेस
लक्ष्मी विलास महल राजा और महारानियो के लिए मनोरंजन का केंद्र हुआ करता था। इस पैलेस में बैठकर संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता था। राजा और महारानी इस महल के अंदर बैठते थे जबकि प्रस्तुति देने वाले कलाकार सामने से अपनी कला का प्रदर्शन करते थे।
- जयगढ़ फोर्ट में स्थित भोजनशाला
जयगढ़ फोर्ट में दो भोजनशाला बनी हुई है। एक भोजनशाला में राजा अपने सरदारों के साथ जमीन पर बैठकर पारंपरिक वेशभूषा में भोजन किया करते थे तथा दूसरी भोजनशाला में महिलाएं भोजन किया करती थी।
जयगढ़ फोर्ट क्यों बनवाया गया था?
Why was jaigarh fort built
जयपुर के शासक अपने परिवार के साथ आमेर के महल में निवास करते थे। किसी आपात स्थिति या किसी आक्रमण के समय शासक अपने परिवार सहित जयगढ़ फोर्ट में आ सकते थे। जयगढ़ फोर्ट, आमेर फोर्ट के ऊपर ही बना हुआ है। किसी संकट की स्थिति में आमेंर के फोर्ट के पीछे के रास्ते से जयगढ़ फोर्ट तक पहुंचा जा सकता था।
जयगढ़ के दुर्ग को आमेर से जोड़ने वाले गेट को आवणी गेट कहा जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि जयगढ़ फोर्ट के अंदर बहुत से गुप्त रास्ते हैं जिनका प्रयोग आमेर के दुर्ग से जयगढ़ दुर्ग में प्रवेश करने के लिए किया जाता था।
रियासत काल में जयगढ़ फोर्ट के अंदर पानी किस प्रकार पहुंचाया जाता था?
How was water supplied inside the Jaigarh Fort during the princely period?
जयगढ़ फोर्ट के पास में ही 5 किलोमीटर लंबी वॉटर केनाल का निर्माण किया गया था। इसका मुख्य कार्य पहाड़ियों के बीच में से बारिश के पानी को एकत्रित करके जयगढ़ फोर्ट के अंदर बने वाटर टैंक में स्टोर करना होता था। इस केनाल के अंतिम छोर पर एक बड़ा छिद्र है जहां से पानी सीधे वॉटर टैंक में पहुंच जाता था l जिस टैंक में पानी स्टोर होता था अगर वह आज भी पूरा भरा हो तो 10 हजार व्यक्तियों को 2 साल तक पानी दिया जा सकता है।
इस स्टोरेज टैंक से विशाल बर्तनो में पानी भरकर उन्हें हाथी के माध्यम से जयगढ़ फोर्ट के एक किनारे तक लाया जाता था। इस किनारे पर से पानी से भरे बर्तनों को रस्सी के द्वारा ऊपर की ओर खींच लिया जाता था तथा फोर्ट के अंदर आवश्यकता के अनुसार पानी को वितरित कर दिया जाता था।
जयगढ़ किले की वास्तुकला
Jaigarh fort architecture in Hindi
जयगढ़ फोर्ट का निर्माण बलुआ पत्थरों के द्वारा किया गया था। जयगढ़ फोर्ट की बाहर की दीवार 20 किलोमीटर लंबी है तथा इन दीवारों की चौड़ाई 1 किलोमीटर है।
इस फोर्ट के अंदर राम हरिहर मंदिर,काल भैरव मंदिर बने हुए हैं जिनका निर्माण क्रमशः10 वीं शताब्दी और 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस फोर्ट में एक उद्यान के साथ-साथ संग्रहालय भी बना हुआ है। इस फोर्ट में एक केंद्रीय वॉच टॉवर बना हुआ है जिससे आसपास के सुंदर दृश्य को देखा जा सकता है। फोर्ट में स्थित सागर झील का दृश्य अत्यंत सुंदर दिखाई देता है यह झील राम मंदिर के पास बनी हुई है।
जयगढ़ फोर्ट ट्रैवल टिप्स
Jaigarh fort travel tips in Hindi
जैसा कि आप जानते हैं राजस्थान भारत का एक मरुस्थलीय राज्य है तथा गर्मी के मौसम में यहां का तापमान बहुत ज्यादा रहता है। अतः यहां घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर महीने से तो मार्च तक रहता है। जयगढ़ फोर्ट सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
जयगढ़ का किला जयपुर शहर के पास ही स्थित है और जयपुर से इसकी दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। जयपुर शहर रोड, रेल तथा वायु मार्ग से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।