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Rajputana photo and Rajput status (Rajputana Status) in Hindi
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Rajput attitude photo
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#1
आत्मसम्मान की के लिए अगर पूरा जीवन संघर्ष में बिताना पड़े तो वो भी मंजूर है,
पर हर कदम पर आत्मसम्मान के साथ समझौता,
हमने कभी सीखा नहीं है।
#2
मातृभूमि के सम्मान की रक्षा के लिए सदैव अडिग रहे कभी झुके नहीं कितने ही सम्मानो से,
घास की रोटी ऊंची मानी गरिष्ठ पकवानों से,
राष्ट्रभक्ति की खुशबू आती है राजपूताने से,
और स्वाभिमानी क्या होता है सीखो हल्दीघाटी से।
#3
केवल युद्ध नहीं लड़े हमने इतिहास को मोड़ा है,
बाबर, अकबर, हुमायूं के दंभ को भी निचोड़ा है।
#7
अगर हमें स्वाभिमान विरासत में ना भी मिलता तो भी स्वाभिमान को स्वाभिमानी बनना सीखा देते।
#8
राजपूत प्रबल का संगम है, राजपूत ही वीरता की लय है,
राजपूत ही रक्षक तो राजपूत ही प्रलय है
राजपूत है तो खून में उबाल भी है,
इसलिए केसरिया की ढाल भी है।
#9
आवाज बैठ सकती है थकान से मेरी,
लहज़े में मेरे मगर गुजारिश नहीं होगी।
#10
मिटाकर हस्ती अपनी,
मातृभूमि का सुरक्षित इतिहास लिखा है,
जिन्होंने बहा कर रक्त सरहद पर,
अपना प्यारा हिंदुस्तान लिखा है।
Rajputana logo
#11
राजपूत ही देश के रक्षक, स्वाभिमान के पोषक थे,
मुगलों से खुली जंग के एकमात्र उद्घोषक थे।
#12
जिस जगह पर आकर लोगो की हिम्मत जवाब दे देती है,
उसी जगह से राजपूतों के शौर्य की शुरुआत होती है।
#13
रियासते दान में दी है, वीरता नहीं,
इतिहास दोहराने का हुनर, आज भी हमारे रक्त में है।
#14
हमारे पूर्वजों ने अन्याय के विरुद्ध कभी शांतिपूर्वक धरना नहीं दिया,
सिर्फ तलवारें और भाले ही उठाए हैं।
#15
दोहराता हूं राजपूतों के रक्त से लिखी हुई कुर्बानी
जिनके कारण मिट्टी भी चंदन है राजस्थानी।
#16
स्वयं को जलाकर दी हमने इस संसार को रोशनी,
जुगनू पकड़ कर हमने कभी उजाले नहीं किए।
#17
दोस्ती हो या दुश्मनी,
हम राजपूत दोनों ही रिश्ते शिद्दत से निभाते है।
#18
हमारे संस्कार हमें झुकना जरूर सिखाते हैं,
पर किसी की अकड़ के आगे नहीं।
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#19
वजूद ए खाक के नहीं,
हमारे वजूद ए साख के सिक्के चलते है।
Rajput status in Hindi
#20
इज्जत की खाक भी मंजूर,
भीख का तो आसमान भी ना ले।
#21
सम्मान और स्वाभिमान की जंग में,
हम परिणाम की चिंता नहीं करते।
#22
जब राजपूत अपने स्वाभिमान की रक्षा लिए लड़ता है तो उसका संघर्ष और उसकी तलवार की गूंज,
सदियों तक अमर रहती है।
#23
अधर्म से लड़ना ही धर्म है,
यही तो एक सच्चे क्षत्रिय का कर्म है।
24
जहां अदम्य साहस, वीरता, शौर्य व बलिदान हो अनवरत,
बस वही मिलेगा एक सच्चा राजपूत।
25
इतिहास यही गवाही देता है,
इतिहास में वही जिंदा रहे हैं,
जो धर्म के लिए लड़े है,
वरना मरने के लिए तो सभी पैदा हुए है।
26
हम राजपूत थोड़ा अलग तरह से जीते हैं,
हम उम्मीद पर नहीं अपने सम्मान और जिद पर जीते हैं।
27
हम राजपूत अपने खुद के हाथों में अपना सम्मान रखते है,
बोलकर नहीं हम तो अपने शौर्य से अपनी पहचान रखते है।
28
बचा गए सनातन को, हम वह छात्रधारी थे,
मुट्ठी भर थे राजपूत, मगर लाखों पर भारी थे।
29
बहुत से आए थे हम राजपूतों को गिराने,
कुछ भी ना कर पाए बीत गए जमाने।
30
गुलामी के 56 पकवान खाने से अच्छा है,
स्वाभिमान की घास खा लो।
31
देख कर जिनके इरादे मुग़ल भी थर्राते थे ,
हम तो राणा के वंशज है,
भागते नहीं भगाते है
32
सनातन धर्म की रक्षा जिन्हें अपने प्राणों से भी ज्यादा प्यारी थी,
हम उन्हीं के वंशज हैं जिनकी तलवारों से यारी थी।
Rajput status in Hindi
33
एक राजपूत जीवन के अंत तक एक राजपूत ही रहता है ,
मन से कर्म से वचन से,
अपनी जबान से और अपने शौर्य से भी।
34
राजपूतों की ये फितरत नहीं कि पीठ के पीछे से वार करे,
सुनने में कड़वा लगे पर जों बोलते है मुंह पर बोलते है।
35
हमारे राजपूताने में जिंदगी से ज्यादा,
सम्मान का महत्व है।
36
राजपूत हमेशा अपने किरदार की हिफाज़त अपनी जान से बढ़कर करते हैं,
क्योंकि एक राजपूत को उसके किरदार से ही पहचाना जाता है।
37
ढालो भालो वाले घर ही महाराणा जैसे योद्धा जन्म लिया करते हैं,
दीन हीन कायर क्लीवों में कब अवतार उतरते हैं।
38
जब-जब राजपूतों की तलवार उठी है
तो दुश्मन के लिए काल बनी है।
शेर भी दहाड़ कर चुप हो गए
जब-जब राजपूतों ने हुंकार भरी है।
39
बादल भी गरजना भूल जाते है
दुश्मन भी अंदर से कांप जाते है
जब समुद्र भी छोड़ दे अपना किनारा
हिल जाए ये जग सारा
जब हवा में गूंजे जय मा भवानी का नारा।
Latest royal rajputana status for Facebook
40
हम राजपूत है,
सही लोगो को अपने जज्बात,
और गलत लोगो को उनकी औकात,
दोनों अच्छी तरह से दिखा सकते है।
41
80 घाव शरीर पर लेकर रणभूमि में गए हैं हम।
मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर करके आए हैं हम।
43
हमारे इतिहास में मीरा की भक्ति भी है,
और महाराणा प्रताप के तलवार की शक्ति भी है।
44
युद्ध भूमि में जीना,
और युद्ध भूमि में मरना यही राजपूत धर्म है,
तलवार हाथ में और शौर्य सीने में,
यही राजपूत की शान है।
45
नहीं जरूरत हमें किसी तलवार या ढाल की,
हम तो राजपूत है
हमारे हौसले ही हमारी जान है
46
भले ही कच्ची उम्र में जिंदगी का अंतिम समय आ जाए,
पर ये मुमकिन नहीं कि कोई खून पर इल्जाम लगा जाए।
47
खेेले होंगे दुश्मनों ने कई खेल
पर बाजी कैसे पलटते
ये खेल तो राजपूत ही जानते है
48
हम राजपूत उसी रास्ते से जाते है
जहा हमारा दुश्मन हमे मारने के लिए तैयार होता है, फर्क बस इतना ही होता है
शुरुआत उधर से होती है,
और खत्म हम करते है।
49
हम राजपूत उन पृथ्वीराज चौहान के वंशज है
जिन्होंने अपनी आंखो को खोना पसंद किया
पर आंखो को झुकाना नहीं।
50
महाराणा सा शौर्य
पृथ्वीराज सा क्षमादान
हाड़ी रानी सा बलिदान
गोरा बादल सा राज्य प्रेम
पद्मावती और रानी कर्णावती सा अग्निप्रेम
और महाराणा कुंभा सा बाहुबल
कहीं और मिले तो बताना।
51
युद्ध भूमि में जीना, युद्ध भूमि में मरना
यही राजपुत का धर्म है
तलवार हाथ में और मां भवानी का आशीर्वाद साथ में
यही राजपुत की शान है !!
52
एक सच्चा क्षत्रिय जो मन में सोचता है
उसे कर्म में भी बदल सकता है,
और जो कर्म में बदल सकता है,
क्षत्रिय सिर्फ उसी का वचन देता है।
53
वीरता की परिभाषा,
राजपूत शब्द के 'रा' से शुरू,
और 'त' पर खत्म होती है।
54
सृष्टि के आदि से अंत तक ना कोई राजपूतों जैसा हुआ है और ना होगा,
हमारा इतिहास अमर है और अमर रहेगा।
55
जौहर की ज्वाला और केसरिया बाना,
ये कहीं और मिले तब अंगुली उठाना।
57
पीठ दिखाना पसंद नहीं हमें,
फिर चाहे युद्ध भूमि में धड से ही क्यों ना करना पड़े।
58
वीर भूमि, गंध गुलाबी
यह चंदन की भांति है,
शीश कटा पर झुका नही
रणभूमि वह प्रतापी हल्दीघाटी है।
59
किसी अपने का ऐसा एहसान नहीं
और किसी दुश्मन का ऐसा प्रहार नहीं
जिसे हमने दोगुना करके ना चुकाया हो
यही हमारी राजपूत परंपरा है।
60
दिल में कुछ कर गुजरने का जूनून
और जोश वाली जवानी चाहिये,
हम राजपूतों को तो
दुश्मनी भी खानदानी चाहिये।
61
जब विजय ही जिद बन जाए,
तो घाव मायने नहीं रखते।
62
जनाब हमारा इतिहास कहता है,
चार दिन की जिन्दगी नहीं, तो दो दिन की ही सही
पर जीयेंगे शान और स्वाभिमान से।
63
मृत्यु को अपनी गोद में लेकर मुस्कुराने का अनुभव है हमें,
हमें ऐसे ही राजपूत नहीं कहते लोग।
64
पीढ़ियों ने बलिदान दिया है जंगे आजादी में,
यूं ही कोई शूरवीर राजपूत नहीं बन जाता।
Some interesting facts of Rajput history
क्या आप जानते हैं महाराणा प्रताप ने अपनी मां जयवंता बाई को हल्दीघाटी युद्ध के बाद अपने छोटे भाई शक्ति सिंह के साथ माइनसोर के दुर्ग में भेज दिया था ताकि उन्हें जंगल में भटकने का कष्ट ना हो। महाराणा प्रताप की मां महारानी जयवंता बाई
क्या जानते हैं एक फारसी इतिहासकार ने अपनी पुस्तक "अख्बर उल अख्यार" मे यह लिखा है कि मुइनुद्दीन चिश्ती (जिनकी अजमेर में दरगाह है) ने पृथ्वीराज चौहान को इस्लाम की फौज के हवाले करके उनके सही अंजाम तक पहुंचाया था। प्रखर हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कहानी
महाराणा प्रताप के अंतिम शब्दों में भी उनका मेवाड़ के प्रति समर्पण देखा सकता है। महाराणा प्रताप ने अपने अंतिम समय में अपने पास उपस्थित सामंतों से यही प्रश्न किया था कि क्या मेरा पुत्र अमरसिंह मेरी मातृभूमि मेवाड़ की रक्षा कर पाएगा या नहीं। इसके बाद सामंतों ने बप्पा रावल की गद्दी की शपथ लेकर महाराणा प्रताप को भरोसा दिलाया था कि हम मेवाड़ की आन बान शान में कोई भी दाग नहीं लगने देंगे और इस आश्वासन को सुनने के बाद ही महाराणा प्रताप के शरीर से प्राण निकल पाए। राजपूत कुलभूषण महाराणा प्रताप
क्या आप जानते हैं राजस्थान में एक भी जिले का नाम किसी मुगल के नाम पर नहीं है।
क्या आप जानते हैं निजाम उल मुल्क ने राणा सांगा की तुलना एक श्वान(Dog) से की थी, परंतु जब राणा सांगा को अपने इस अपमान की सूचना मिली तो उन्होंने निजाम उल मुल्क का अहमदनगर तक पीछा किया और अहमदनगर किले को घेर कर सारी मुस्लिम संपत्ति को लूट लिया था। शरीर पर 80 घाव वाले योद्धा राणा सांगा की कहानी
क्या आप जानते हैं जब मुगल आक्रमणकारियों से लड़ते-लड़ते रानी दुर्गावती की आंख में तीर लग गया था तब उन्होंने अपने हाथ से ही वह तीर निकाला था। रानी दुर्गावती की कहानी
क्या आप जानते हैं दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने दिवेर के थाना प्रमुख सुल्तान खान पर भाले से ऐसा भीषण प्रहार किया था कि भाला सुल्तान खान और उसके घोड़े को बेधते देते हुए जमीन में जा धसा था। जब सुल्तान खान दर्द से कहार रहा था तो महाराणा प्रताप को सुल्तान खान पर दया आ गई और उसके बाद महाराणा प्रताप ने अपने हाथों से स्वर्ण कलश में भरे गंगाजल को सुल्तान खान को पिलाया था। महाराणा प्रताप का भाला और कुछ अन्य अनसुनी बातें
क्या आप जानते हैं अकबर के दरबार का एक मुगल अधिकारी जिसका नाम बदायूंनी था उसने अपनी किताब "मुंतखब उल तवारीख" में यह लिखा है कि जब मैंने हल्दीघाटी युद्ध में आसिफ खान (अकबर का सेनापति) से पूछा कि मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि हमारी तरफ से लड़ने वाले राजपूत और शत्रु की तरफ से लड़ने वाले राजपूत कौन है तो आसिफ खान ने बदायूंनी को यह जवाब दिया कि तुम तो बेफिक्र होकर तीर चलाओ जिस भी तरफ का राजपूत मरेगा फायदा तो इस्लाम का ही होना है। हल्दीघाटी युद्ध का आंखों देखा हाल और कौन जीता यह युद्ध
क्या जानते हैं महाराणा प्रताप अपने पिता उदयसिंह के द्वारा उदयपुर शहर को बसाने के लिए किए जाने वाले खर्च से सहमत नहीं थे। इसका कारण यह था कि मेवाड़ राज्य, उदयपुर को बसाने के समय आर्थिक संकट से जूझ रहा था और महाराणा प्रताप नहीं चाहते थे कि आर्थिक संसाधनों का अधिकतर भाग उदयपुर शहर को बसाने के लिए लगाया जाए।
क्या आप जानते हैं अलवर के महाराजा जयसिंह ने रॉल्स रॉयस कंपनी द्वारा किए गए अपमान का बदला रॉल्स रॉयस की कारों से कचरा उठवा कर लिया था।
जब अकबर का दूत जलाल खान कोरची महाराणा प्रताप के पास संधि प्रस्ताव लेकर आया तो महाराणा प्रताप ने संधि प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए उत्तर दिया कि खान साहब आपको शायद पता नहीं है कि मेवाड़ का शासक में नहीं हूं, मेवाड़ के शासक तो एकलिंग जी है और जब तक वह कोई जवाब ना दे तब तक मैं आपको कोई उत्तर नहीं दे सकता। अंततः लगभग एक महीने कोशिश करने के बाद असफल होकर जलाल खान कोरची को मेवाड़ से वापस लौटना पड़ा। अकबर द्वारा महाराणा प्रताप के पास भेजे गए दूत
आजादी से पहले उदयपुर(मेवाड़) के शासक महाराजा भूपाल सिंह को जब मोहम्मद अली जिन्ना और कुछ अन्य शासकों ने पाकिस्तान में सम्मिलित होने का प्रस्ताव दिया तो महाराजा भूपाल सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि हमारे पूर्वज (महाराणा प्रताप) तो पहले ही निर्णय ले चुके है कि हमें कहां जाना है इसलिए इस विषय में सोच विचार करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
क्या आप जानते हैं कर्नल जेम्स टॉड ने जयमल राठौड़ को "Lion of Chittod" की संज्ञा दी है। अकबर की सेना के लिए त्रिकाल जयमल राठौड पत्ता सिसोदिया और कल्ला राठौड़ की कहानी
क्या आप जानते हैं हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप और उनकी सेना ने मुगल सेना के सभी बड़े सेनापतियों को मौत के घाट उतार दिया था। अगर महाराणा प्रताप का निशाना नहीं चूकता और उनका भाला मानसिंह की जगह उसके महावत को नहीं लगता तो मानसिंह भी जीवित नहीं बचता।
क्या आप जानते हैं जब राणा सांगा एक पत्र की भाषा समझने में असमर्थ थे तब उनकी बहू मीरा बाई ने कुछ ही सेकंड मे उस पत्र का सही अर्थ निकालकर महाराणा सांगा को बता दिया था। महाराणा सांगा मीराबाई की बुद्धिमता से बहुत प्रसन्न और प्रभावित हुए थे। महाराणा प्रताप की ताई मीराबाई की कहानी
क्या आप जानते हैं दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप के सामने 30 हजार से अधिक मुगल सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।
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